हिन्दू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म में कैलेण्डर व हिन्दू पंचाग के तिथि में चन्द्रमा के अनुसार ही बदलती है। अमावस्या क्या होता है? यह वह रात होती है जब चन्द्रमा पूर्ण रूप से नहीं दिखाई देता है। अमावस्या की रात हर 30 दिन बाद आती है यह ऐसा कहा जा सकता है कि अमावस्या एक महीने में एक बार आती है। और पढ़ें
हिंदू धर्म में रक्षाबंधन(Raksha Bandhan) का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है। जो भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है. भारत के अलावा भी विश्व भर में जहाँ पर हिन्दू धर्मं के लोग रहते हैं, वहाँ इस पर्व को भाई बहनों के बीच मनाया जाता है. इस त्यौहार का आध्यात्मिक महत्व के साथ साथ ऐतिहासिक महत्त्व भी है. इसे मनाने के पीछे कई सारी कहानियां छुपी हुई हैं। और पढ़ें
पूर्व भारतीय उड़ीसा राज्य का पुरी क्षेत्र जिसे पुरुषोत्तम पुरी, शंख क्षेत्र, श्रीक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है, भगवान श्री जगन्नाथ जी की मुख्य लीला-भूमि है। उत्कल प्रदेश के प्रधान देवता श्री जगन्नाथ जी ही माने जाते हैं। यहाँ के वैष्णव धर्म की मान्यता है कि राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं। और पढ़ें
मृत्यु अटल सत्य है, इस भौतिक जगत में जो कोई भी पैदा हुआ है उसको एक ना एक दिन काल के ग्रास में जाना ही जाना है। किंतु ईश्वर की सबसे बड़ी माया ये है कि हम दूसरों की मृत्यु को तो देखते है लेकिन फिर सोचते है कि अभी हमारी मृत्यु नही होगी। दुर्भाग्य की बात ये है कि हम सब कभी भी अपनी मृत्यु की तैयारी नही करते हैं। और पढ़ें
आमतौर पर अधिकमास में श्रद्धालु व्रत- उपवास, पूजा- पाठ, ध्यान, भजन, कीर्तन, मनन को अपनी जीवनचर्या बनाते हैं। पौराणिक सिद्धांतों के अनुसार इस मास के दौरान यज्ञ- हवन के अलावा श्रीमद् भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण, भविष्योत्तर पुराण आदि का श्रवण, पठन, मनन विशेष रूप से फलदायी होता है। अधिकमास के अधिष्ठाता भगवान विष्णु हैं, इसीलिए इस पूरे समय में विष्णु मंत्रों का जाप विशेष लाभकारी होता है। ऐसा माना जाता है कि अधिक मास में विष्णु मंत्र का जाप करने वाले साधकों को भगवान विष्णु स्वयं आशीर्वाद देते हैं, उनके पापों का शमन करते हैं और उनकी समस्त इच्छाएं पूरी करते हैं। और पढ़ें
एक ब्रह्मचारी ब्राह्मण पुत्र कई वर्षों तक काशी में शास्त्रों का अध्ययन करने के बाद अपने गांव लौट रहे थे। तभी उनको प्यास लगी थीं और प्यास के कारण वो एक कुएँ पर गए। वहाँ गांव की एक सभ्य महिला ने पानी पिलाया और पूछा कि कहाँ से आ रहे और कहाँ जा रहे हो? और पढ़ें
अपने शरीर के हर हिस्से का ख्याल रखें। ये बात याद रखें यह शरीर के अंग बाज़ार में उपलब्ध नहीं है। मनुष्य जीवन बहुत ही बहुमूल्य है और यह शरीर भगवद्भक्ति के लिए मिला है इसका सदुपयोग करके जीवन को सफल बनाए। और पढ़ें
गोबर में एक कीड़ा पाया जाता है, जिसे गोबरैला कहते हैं। उसे ताजे गोबर की गन्ध बहुत भाती है! और वह सुबह से गोबर की तलाश में लगा रहता है और सारा दिन उसे जहां कहीं गोबर मिल जाता है, वहीं उसका गोला बनाना शुरू कर देता है। शाम तक वह एक बड़ा सा गोला बना लेता है। और पढ़ें
मकर संक्रांति गौड़ीय वैष्णवों के लिए यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हम सभी को भवसागर से पार कराने के लिए अवतरित हुए दया के सागर श्री चैतन्य महाप्रभु ने आज से ५१० वर्ष पूर्व, सन १५१० में, श्रील केशव भारती द्वारा कटवा नामक स्थान पर सन्यास ग्रहण किया था। और पढ़ें
जो चीज़ें हमारी इंद्रियो को अच्छी लगती है (भोग विलास की चीज़ें) या ऐसे विषयों का चिन्तन करते है तो उनमें आसक्ति उत्पन्न होती है और आसक्ति उत्पन्न होने से हम उसका भोग करना चाहते है जो कि काम कहलाता है और फिर उस काम की इच्छा पूरी नहीं होने से क्रोध उत्पन्न होता है। और पढ़ें
सनातन का मतलब जिसका आदि और अंत ना हो! भगवान शाश्वत और संपूर्ण है और जीव अर्थात् आत्मा भी उनका अंश है इसीलिए ये भी शाश्वत है। अंश का काम क्या है? अपने पूर्णांश की सेवा करना। यह सेवा कैसे की जाती है? और पढ़ें
श्री चैतन्य महाप्रभु का आंदोलन यही है कि आप जाओ और प्रचार करो, कृष्ण-उपदेश के प्रति जागरूक करो। यही कृष्णभावनामृत आंदोलन है। हम अपने सभी भक्तों को यही शिक्षा देते हैं की कैसे कृष्ण-उपदेश का प्रचार करना है, कैसे कृष्ण भावनामृत का प्रचार करना है । और पढ़ें
भगवद गीता के 17 अध्याय के 14 श्लोक में भगवान कृष्ण ने शारीरिक तपस्या के बारे में कहा है कि परमेश्र्वर, ब्राह्मणों, गुरु, माता-पिता जैसे गुरुजनों की पूजा करना तथा पवित्रता, सरलता, ब्रह्मचर्य और अहिंसा शारीरिक तपस्या है। और पढ़ें
कोई भी साहित्य जिसका भगवान के ज्ञान के साथ कोई संबंध नहीं है, ‘तद् तद् वयसम तीर्थम’, वह उस जगह की तरह है जहॉ कौवे आनंद लेते हैं । कौवे कहाँ आनंद लेते हैं ? गंदी जगह में । और हंस, सफेद हंस, वे आनंद लेते हैं साफ पानी में जहाँ उद्यान होते हैं, वहाँ पक्षी हैं । और पढ़ें
कितनी दुःख की बात है कि हिंदुओ को पता ही नहीं है कि जो सरकार मंदिर को अपने हाथ में ली है उन मंदिरों के पैसे उसी मंदिर को ही नहीं मिलते है। इन मंदिरों के पैसे से ही सरकार मुस्लिमों को हज कराती है, मंदिरों के ही पैसे से सरकार मस्जिद, चर्च और मदरसे खोलती है। और पढ़ें