Amavasya in June 2022

2022 में अमावस्या तिथियां | आने वाली अमावस्या की तिथि ?

वेदास

हिन्दू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म में कैलेण्डर व हिन्दू पंचाग के तिथि में चन्द्रमा के अनुसार ही बदलती है। अमावस्या क्या होता है? यह वह रात होती है जब चन्द्रमा पूर्ण रूप से नहीं दिखाई देता है। अमावस्या की रात हर 30 दिन बाद आती है यह ऐसा कहा जा सकता है कि अमावस्या एक महीने में एक बार आती है। और पढ़ें

वेदास 1 Apr 2022 414 व्यूज
Raksha bandhan

रक्षा बंधन कब से और क्यों मनाया जाता है। Raksha bandhan kab s…

वेदास

हिंदू धर्म में रक्षाबंधन(Raksha Bandhan) का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है। जो भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है. भारत के अलावा भी विश्व भर में जहाँ पर हिन्दू धर्मं के लोग रहते हैं, वहाँ इस पर्व को भाई बहनों के बीच मनाया जाता है. इस त्यौहार का आध्यात्मिक महत्व के साथ साथ ऐतिहासिक महत्त्व भी है. इसे मनाने के पीछे कई सारी कहानियां छुपी हुई हैं। और पढ़ें

वेदास 9 Aug 2021 1203 व्यूज
Bhagavan Shri Jagnnath Ji Ki Rath Yatra

भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा। Bhagavan Shri Jagnnath Ji …

वेदास

पूर्व भारतीय उड़ीसा राज्य का पुरी क्षेत्र जिसे पुरुषोत्तम पुरी, शंख क्षेत्र, श्रीक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है, भगवान श्री जगन्नाथ जी की मुख्य लीला-भूमि है। उत्कल प्रदेश के प्रधान देवता श्री जगन्नाथ जी ही माने जाते हैं। यहाँ के वैष्णव धर्म की मान्यता है कि राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं। और पढ़ें

वेदास 20 Jul 2021 2131 व्यूज
मृत्यु साक्षात देखने वाला अंतिम और अटल सत्य है

मृत्यु साक्षात देखने वाला अंतिम और अटल सत्य है एवं इसका स्वागत …

राजेश पाण्डेय, पीएच॰डी॰ (रामानन्द दास)

मृत्यु अटल सत्य है, इस भौतिक जगत में जो कोई भी पैदा हुआ है उसको एक ना एक दिन काल के ग्रास में जाना ही जाना है। किंतु ईश्वर की सबसे बड़ी माया ये है कि हम दूसरों की मृत्यु को तो देखते है लेकिन फिर सोचते है कि अभी हमारी मृत्यु नही होगी। दुर्भाग्य की बात ये है कि हम सब कभी भी अपनी मृत्यु की तैयारी नही करते हैं। और पढ़ें

राजेश पाण्डेय, पीएच॰डी॰ (रामानन्द दास) 17 Sep 2020 1351 व्यूज
adhik maas

अधिकमास के बारे में संक्षिप्त जानकारी

राजेश पाण्डेय, पीएच॰डी॰ (रामानन्द दास)

आमतौर पर अधिकमास में श्रद्धालु व्रत- उपवास, पूजा- पाठ, ध्यान, भजन, कीर्तन, मनन को अपनी जीवनचर्या बनाते हैं। पौराणिक सिद्धांतों के अनुसार इस मास के दौरान यज्ञ- हवन के अलावा श्रीमद् भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण, भविष्योत्तर पुराण आदि का श्रवण, पठन, मनन विशेष रूप से फलदायी होता है। अधिकमास के अधिष्ठाता भगवान विष्णु हैं, इसीलिए इस पूरे समय में विष्णु मंत्रों का जाप विशेष लाभकारी होता है। ऐसा माना जाता है कि अधिक मास में विष्णु मंत्र का जाप करने वाले साधकों को भगवान विष्णु स्वयं आशीर्वाद देते हैं, उनके पापों का शमन करते हैं और उनकी समस्त इच्छाएं पूरी करते हैं। और पढ़ें

राजेश पाण्डेय, पीएच॰डी॰ (रामानन्द दास) 17 Sep 2020 615 व्यूज
paap ka guru

पाप का गुरु कौन । Paap ka guru kon

राजेश पाण्डेय, पीएच॰डी॰ (रामानन्द दास)

एक ब्रह्मचारी ब्राह्मण पुत्र कई वर्षों तक काशी में शास्त्रों का अध्ययन करने के बाद अपने गांव लौट रहे थे। तभी उनको प्यास लगी थीं और प्यास के कारण वो एक कुएँ पर गए। वहाँ गांव की एक सभ्य महिला ने पानी पिलाया और पूछा कि कहाँ से आ रहे और कहाँ जा रहे हो? और पढ़ें

राजेश पाण्डेय, पीएच॰डी॰ (रामानन्द दास) 17 Sep 2020 1404 व्यूज
hamaare shareer ke ang

हमारे शरीर के अंग कब डरते हैं और हमें पता भी नहीं चलता है?

राजेश पाण्डेय, पीएच॰डी॰ (रामानन्द दास)

अपने शरीर के हर हिस्से का ख्याल रखें। ये बात याद रखें यह शरीर के अंग बाज़ार में उपलब्ध नहीं है। मनुष्य जीवन बहुत ही बहुमूल्य है और यह शरीर भगवद्भक्ति के लिए मिला है इसका सदुपयोग करके जीवन को सफल बनाए।  और पढ़ें

राजेश पाण्डेय, पीएच॰डी॰ (रामानन्द दास) 17 Sep 2020 691 व्यूज
Gobaraila

गोबरैला से सीख। Gobaraila se sikh

राजेश पाण्डेय, पीएच॰डी॰ (रामानन्द दास)

गोबर में एक कीड़ा पाया जाता है, जिसे गोबरैला कहते हैं। उसे ताजे गोबर की गन्ध बहुत भाती है! और वह सुबह से गोबर की तलाश में लगा रहता है और सारा दिन उसे जहां कहीं गोबर मिल जाता है, वहीं उसका गोला बनाना शुरू कर देता है। शाम तक वह एक बड़ा सा गोला बना लेता है। और पढ़ें

राजेश पाण्डेय, पीएच॰डी॰ (रामानन्द दास) 17 Sep 2020 2446 व्यूज
chaitanya mahaprabhu

श्री चैतन्य महाप्रभु का संन्यास

राजेश पाण्डेय, पीएच॰डी॰ (रामानन्द दास)

मकर संक्रांति गौड़ीय वैष्णवों के लिए यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हम सभी को भवसागर से पार कराने के लिए अवतरित हुए दया के सागर श्री चैतन्य महाप्रभु ने आज से ५१० वर्ष पूर्व, सन १५१० में, श्रील केशव भारती द्वारा कटवा नामक स्थान पर सन्यास ग्रहण किया था। और पढ़ें

राजेश पाण्डेय, पीएच॰डी॰ (रामानन्द दास) 14 Jan 2020 3197 व्यूज
क्रोध क्यों उत्पन्न होता है ?

क्रोध क्यों उत्पन्न होता है ?

वेदास

जो चीज़ें हमारी इंद्रियो को अच्छी लगती है (भोग विलास की चीज़ें) या ऐसे विषयों का चिन्तन करते है तो उनमें आसक्ति उत्पन्न होती है और आसक्ति उत्पन्न होने से हम उसका भोग करना चाहते है जो कि काम कहलाता है और फिर उस काम की इच्छा पूरी नहीं होने से क्रोध उत्पन्न होता है। और पढ़ें

वेदास 6 Jan 2020 3763 व्यूज
sanatan dharm kya hai

सनातन धर्म क्या है?

वेदास

सनातन का मतलब जिसका आदि और अंत ना हो! भगवान शाश्वत और संपूर्ण है और जीव अर्थात् आत्मा भी उनका अंश है इसीलिए ये भी शाश्वत है। अंश का काम क्या है? अपने पूर्णांश की सेवा करना। यह सेवा कैसे की जाती है? और पढ़ें

वेदास 3 Jan 2020 3097 व्यूज
kya bhagvan ko bhi peeda hoti hai

क्या भगवान को भी पीड़ा होती है?

वेदास

श्री चैतन्य महाप्रभु का आंदोलन यही है कि आप जाओ और प्रचार करो, कृष्ण-उपदेश के प्रति जागरूक करो। यही कृष्णभावनामृत आंदोलन है। हम अपने सभी भक्तों को यही शिक्षा देते हैं की कैसे कृष्ण-उपदेश का प्रचार करना है, कैसे कृष्ण भावनामृत का प्रचार करना है । और पढ़ें

वेदास 28 Dec 2019 2248 व्यूज
brahmacharya jeevan in hindi

वर्णाश्रम धर्म व्यवस्था में ब्रह्मचर्य जीवन का महत्व: भाग ३

आदित्य

भगवद गीता के 17 अध्याय के 14 श्लोक में भगवान कृष्ण ने शारीरिक तपस्या के बारे में कहा है कि परमेश्र्वर, ब्राह्मणों, गुरु, माता-पिता जैसे गुरुजनों की पूजा करना तथा पवित्रता, सरलता, ब्रह्मचर्य और अहिंसा शारीरिक तपस्या है। और पढ़ें

आदित्य 28 Dec 2019 1963 व्यूज
Sanatan Dharm

सनातन धर्म का मतलब क्या है ?

वेदास

कोई भी साहित्य जिसका भगवान के ज्ञान के साथ कोई संबंध नहीं है, ‘तद् तद् वयसम तीर्थम’, वह उस जगह की तरह है जहॉ कौवे आनंद लेते हैं । कौवे कहाँ आनंद लेते हैं ? गंदी जगह में । और हंस, सफेद हंस, वे आनंद लेते हैं साफ पानी में जहाँ उद्यान होते हैं, वहाँ पक्षी हैं । और पढ़ें

वेदास 21 Dec 2019 3006 व्यूज
आज़ादी के बाद मंदिरों और वेदिक संस्कृति

आज़ादी के बाद मंदिरों और वेदिक संस्कृति को किसने लूटा?

वेदास

कितनी दुःख की बात है कि हिंदुओ को पता ही नहीं है कि जो सरकार मंदिर को अपने हाथ में ली है उन मंदिरों के पैसे उसी मंदिर को ही नहीं मिलते है। इन मंदिरों के पैसे से ही सरकार मुस्लिमों को हज कराती है, मंदिरों के ही पैसे से सरकार मस्जिद, चर्च और मदरसे खोलती है। और पढ़ें

वेदास 21 Dec 2019 2571 व्यूज