अध्यात्मिक जीवन की शुरुआत कैसे होती है ?

आदित्य!
24 Dec 2018
अध्यात्मिक जीवन की शुरुआत तब होती है जब कोई प्रामाणिक गुरु को स्वीकार लेता है। सवाल: अध्यात्मिक जीवन की शुरुआत कैसे होती है ?
उत्तर: भक्ति में नौ चरण हैं:-
1. श्रद्धा: विश्वास
2. साधु-सांग: भक्तों का साथ
3. भजन-क्रिया: भक्ति का पालन
4. अनर्थ-निवृत्ति: अवांछिनिय आसक्ति में कमी
5. निष्ठा: स्थिरता
6. रुचि: स्वाद आना
7. आसक्ति: लगाव
8. भाव: प्यार का भाव आना और
9. प्रेम: कृष्ण के लिए शुद्ध प्यार।
भक्तिमय जीवन की शुरुआत थोड़े से विश्वास के साथ शुरू होता है। अगर किसी व्यक्ति को थोड़ा विश्वास है तो साधु (प्रामाणिक व्यक्ति) के संपर्क में आने के तुरंत बाद तो वह भगवान के पवित्र नाम का जप करना शुरू कर देता है जिसे भजन क्रिया कहते हैं और उसके आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत हो जाती है। केवल भगवान श्रीकृष्ण के पवित्र नामों का जप करने की विधि द्वारा ही जीवन को सिद्ध कर सकते हैं और अपने घर वापस भगवान के पास जा सकते हैं।
भौतिक प्रकृति की प्रकृति धार्मिक जीवन के बीच का सम्बंध
सदा ही भगवान के नाम का जप करिए और ख़ुश रहिए। “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। “परम विजयते श्रीकृष्ण संकीर्तनम” इस कलियुग में यह संकिर्तन आंदोलन (कृष्ण के पवित्र नाम का सामुहिक जाप) मानवता के लिए प्रमुख वरदान है।
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