भगवान उनके सर्व-शुभ स्वरूप को कब प्रकट करेंगे?

आदित्य!
7 Feb 2019
भक्तिसिद्धान्त सरस्वती ठाकुर ने श्री मायापुर से पद्मनाभ १५, ४२९ गौराब्द [१९१५ ई.] को अपने शिष्य को एक पत्र लिखा था और इस पत्र में वर्णन है कि मुझे आपका पत्र मिला है। मुझे एक व्यापक पत्र लिखना था किंतु डर है कि देरी करने से और देर होगा, इसलिए मैं संक्षेप में लिख रहा हूं। मैं यह जानकर बहुत खुश हुँ कि आप समझ गए हैं कि सबकुछ शुभाशुभ है जब कृष्ण के पवित्र नाम जाप निरंतरता के साथ किया जाता है। भौतिक विचार आने पर पवित्र नाम को जपने में जप के समय सुस्त मत बनो। धीरे-धीरे, पवित्र नाम को जपने से उसके दुतियक परिणाम से ऐसे बेकार के विचार स्वाभाविक रूप से हट जाएगा, आपको उस पर अलग से कुछ नहीं करना पड़ेगा। शुरुआत में परिणाम ठीक नहीं हो सकता है किंतु कृष्ण के नाम का जाप अति प्रसन्नता के साथ जपने से भौतिक विचारों की ललक कम हो जाएगी।
पवित्र नाम को उत्सुकता के बिना स्वीकार करने पर भौतिक विचार कैसे दिखायी देंगे? विदेशी चीनी या मिश्रित घी अशुद्ध है, हमारी देशी चीनी और बिना मिलावट के घी शुद्ध है। लेकिन शुद्ध और अशुद्ध दोनों चीजें भौतिक पदार्थ हैं, यदि कोई अपने हृदय से भावनाओं के साथ इन चीजों को भगवान को भोग नहीं लगाता है, तो भगवान कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे चाहे वह शुद्ध हो या अशुद्ध। अपराधों के बिना सेवा करने की आवश्यकता है। यदि कोई श्री-नाम यनिकी पवित्र नाम की सेवा उसके अपने शरीर, मन और वाणी के साथ सेवा करता है तो श्री-नामी यनिकी पवित्र नाम के मालिक अपने सभी शुभ रूप को प्रकट करेंगे।
“परम विजयते श्रीकृष्ण संकीर्तनम” सदा ही भगवान के नाम का जप करिए और ख़ुश रहिए।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।
हरे कृष्ण
Rajesh Kumar Pandey, Ph.D. (Ramananda Das)
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