भगवन्नाम के प्रति होने वाले दस नामापराध

राजेश पाण्डेय, पीएच॰डी॰ !
5 Mar 2019
भगवन्नाम के प्रति होने वाले दस नामापराध (पद्मपुराण के ब्रह्मखण्ड):
सतां निन्दा नाम्नः परमं अपराधं वितनुते।
यतः ख्यातिं यातं कथम् उ सहते तद्विगर्हाम्।।
1. भगवन्नाम का प्रचार करने वाले महाभागवतों की निन्दा करना।
शिवस्य श्रीविष्णोर् य इह गुण-नामादि सकलं।
धिया भिन्नं पश्येत् स खलु हरि-नामाहित-करः।।
2 . शिव-ब्रम्हादी देवों के नाम को भगवन्नाम के समान अथवा उनसे भिन्न समझना।
गुरोर् -अवज्ञा
3. गुरु की अवज्ञा।
श्रुति-शास्त्र-निन्दनम्
4. वैदिक शास्त्रों अथवा प्रमाणों का खण्डन करना।
हरिनाम्नि-कल्पनम्
5. हरे कृष्ण महामंत्र के जप की महिमा को काल्पनिक समझना।
शतदर्थवादः
6. पवित्र भगवन्नाम में अर्थवाद का आरोप।
धर्म-व्रत-त्याग-हुतादि-सर्व शुभक्रिया-साम्यमपि-प्रमाद:
8. हरे कृष्ण महामंत्र के जप को वेदों में वर्णित एक शुभ सकाम कर्मकाण्ड के समान समझना।
अश्रद्धाने विमुखेऽपि अशुण्वति यश्चोपदेशः शिव-नामापराधः
9. अश्रद्धालु व्यक्ति को कृष्णनाम की महिमा का उपदेश करना।
श्रुत्वापि नाम माहात्म्यं यह प्रीति रहितो-अधमः।
अंह-ममादि-परमो नाम्नि सोऽप्यपराध-कृत।।
10. हरे कृष्ण महामंत्र के जप में पूर्ण विश्वास न होना और इसकी इतनी अगाध महिमा सुनने पर भी विषयासक्ति बनाये रखना। ध्यानपूर्वक जप न करना भी एक अपराध है। स्वयं को वैष्णव समझने वाले सभी भक्तों को इन नामापराधों से बचना चाहिए जिससे जीवन की अभीष्ट सिद्धि शीघ्रातिशीघ्र प्राप्त हो।
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