बुद्धिमान व्यक्ति केवल भगवान कृष्ण की पूजा क्यों करते हैं?

पार्थ!
31 Mar 2019
प्रश्न: अर्जुन, जो कि भगवान के महान भक्त है, इन्द्र (देवता) के पास सहायता के लिए क्यों गये? क्या यह श्रील प्रभुपाद की शिक्षा के विपरीत नहीं है कि बुद्धिमान व्यक्ति केवल भगवान कृष्ण की पूजा करता है?
रोमपाद स्वामी द्वारा उत्तर: मेरा उत्तर दो भागों में होगा। पहला, अपने मन में धारण करें कि भगवद्-गीता का सन्देश और श्रीमद् भागवतम् का सन्देश विशुद्ध भक्ति को परम लक्ष्य के रूप में वर्णित करता है। यह उच्चतम शिक्षा है और जीवन की उच्चतम उपलब्धि का माध्यम है। हांलांकि यह सही है कि महाभारत जीवन की एक अन्य महत्त्वपूर्ण शिक्षा प्रस्तुत करता है, अर्थात नीति और धर्माचार के सिद्धांत, जो कि मानव समाज के पथप्रदर्शक होने चाहिए, भले ही कोई भगवान कृष्ण का उत्कृष्ट, विशुद्ध भक्त हो या नही हो।
प्रत्येक व्यक्ति को नैतिक तथा धार्मिक होना चाहिए, और ये आदेश महाभारत में दिए गए हैं। अर्जुन का देवताओं से अस्त्र प्राप्त करने का विषय अर्जुन के व्यक्तित्व की श्रेष्ठता को बढ़ाता है, जो कि भगवान कृष्ण के एक सबसे उत्कृष्ट मित्र थे। भगवान कृष्ण से ऐसी प्रियता के कारण, उसके पास पृथ्वी लोक से स्वर्ग लोक तक भी जाने की क्षमता थी, इत्यादि। मैं यहाँ यह संकेत कर रहा हूँ कि शास्त्रों में जो आदेश दिए गए हैं वे दो स्तर के हैं।
एक स्तर सर्वोच्च सम्भव उपलब्धि का वर्णन करता है, दूसरा उन धार्मिक सिद्धांतों का वर्णन करता है जिनसे हमारा जीवन निर्देशित होना चाहिए। जब आप विभिन्न साहित्य पढ़ते हैं और उनमें अलग-अलग स्तर के आदेश या महान भक्तों के उदाहरण द्वारा दी गयी शिक्षाएं पाते हैं तो आपको चकराना नहीं चाहिए। मेरे उत्तर का दूसरा भाग अर्जुन के उत्कृष्ट स्वभाव से सम्बन्धित है। क्योंकि अर्जुन भगवान कृष्ण के विशुद्ध भक्त थे, इसलिए अर्जुन ने जो भी किया वह पूर्णरूप से उसके प्रभु तथा प्रिय मित्र भगवान श्रीकृष्ण की सेवा के लिए था। दूसरी ओर, यदि अर्जुन से कम योग्य व्यक्ति को देवताओं के पास दैवी अस्त्रों के लिए जाना हो तो हो सकता है उनका प्रयोजन अर्जुन के समान न हो।
हो सकता है कि वे नाम तथा कीर्ति पाने के लिए, या प्रभुत्व के लिए, या किसी निजी पदवी बढ़ाने के लिए ऐसा करें। अर्जुन की कृष्ण के प्रति निर्दिष्ट उत्कृष्ट एवं शुद्ध भक्ति के कारण, उसकी वह अवस्था नहीं थी। इसलिए उसके कार्यकलाप उन त्रुटियों के विषयक नहीं है जिनके विषयक दूसरे व्यक्ति के वही कार्य करने पर भी, हो सकते हैं।
नीति-संग्रह १.१: बुद्धिमान व्यक्ति केवल भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं
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