एकादशी व्रत के कुछ सामान्य महात्म्य

vedashindi
राजेश पाण्डेय, पीएच॰डी॰ !
3 Dec 2018

एकादशी व्रत के कुछ सामान्य महात्म्य इस प्रकार है।

सभी शास्त्रों ने एकादशी व्रत के अतुलनीय महात्म्य की मुक्त कंठ से घोषणा की है। यहाँ कुछ सामान्य माहात्म्य का बताया गया है ----

१. एकादशी - व्रत को परित्याग कर अन्य व्रतों का पालन करने से हस्तगत मणि को छोड़कर पत्थर चुनना ही होता है। (तत्व सागर) 

२. इस एकादशी व्रत को छोड़कर अन्य सब व्रत करने से वास्तव में सुखी नहीं होकर अंत में उन सब व्रतों के फल से दुख का अंकुर ही उदित होता है। (ह.भ.वि.)

३. एकादशी के बिना दान, तपस्या, तीर्थ स्थान अथवा किसी तरह के पुण्य आचरण द्वारा मुक्ति लाभ नहीं होता। (स्कंद पुराण) 

४. एक ओर अश्वमेघ, राजसूय आदि सभी यज्ञ, सभी तीर्थ, समस्त तपस्या तथा समस्त महादान एवम दूसरी ओर एक एकादशी व्रत --- इस रूप में ब्रह्मा ने तुलादंड (तराजू) में दोनों की तुलना की, उसमें हरिनामकारी वैष्णव एकादशी के व्रत का वजन ही अधिक हुआ। (पद्मपुराण) 

 

कार्तिक शुक्ल एकादशी व्रत कथा


५. दावानल (जंगल में आग) लगने पर जिस प्रकार सुखी लकड़ियां तथा गीली लकड़ियां जलकर राख हो जाया करती हैं उसी तरह हरिवासर एकादशी व्रत से जीवो के अगले पिछले सभी पाप विनष्ट हो जाया करते हैं। (ब्रह्म वैवर्त पुराण) 

६. श्री यमराज देव जी तक अपने दूतों को सावधान कर देते हैं कि यदि तुम मेरा भला चाहते हो तो सैकड़ों पाप करने पर भी एक एकादशी व्रत का उपवास करने वालों को तुम लोग छोड़ कर के चलना। (स्कंद पुराण) 
    यह व्रत सभी पापों का प्रायश्चित स्वरूप है एवं संसार -मुक्तिकारी है। (ब्रह्म वैवर्त पुराण) 

७. भक्ति सहित एकादशी व्रत करने से सभी पापों से परित्राण पाकर यहां तक कि विष्णुलोक में गमन होता है। (वायु पुराण) 

८. एकादशी व्रत का पालन ८(8) से ८०(80) साल की आयु के सभी लोगों को करना चाहिए। 

हरे कृष्ण🙏

 

जय श्रील प्रभुपाद

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