कृष्णभावनामृत का सही मतलब

Pankaj !
18 Jan 2019
जीवात्मा अपना हर एक पल भगवान की सेवा में लगाए।।।।।यही कृष्णभावनामृत है।।।।।।
गीता के अध्याय 9 श्लोक 34 मे भगवान का भी यही आदेश है।
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु ।
मामेवैष्यसि युक्त्वैवमात्मानं मत्परायणः ॥३४॥
अनुवाद...
अपने मन को मेरे नित्य चिन्तन में लगाओ, मेरे भक्त बनो, मुझे नमस्कार करो और मेरी ही पूजा करो | इस प्रकार मुझमें पूर्णतया तल्लीन होने पर तुम निश्चित रूप से मुझको प्राप्त होगे |
यही ज्ञान है।इस ज्ञान को अमल मे लाना ही विज्ञान है यही ज्ञान की परिकाष्ठा है। हम भगवान को मानते है बस इतना बोलना काफ़ी नही है।हमे अपने आचरण को भी वैसा ही बनाना होगा।बस इतनी सी बात ही समझनी है। और क्या पता फिर इंसान का शरीर मिले या न मिले।
सदैव जपिये।
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।
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