विश्वास और शरणागति।

Pankaj !
26 Jan 2019
विश्वास और शरणागति की ही जरूरत है बस।
भगवद्गीता...6.24
स निश्चयेन योक्तव्यो योगोऽनिर्विण्णचेतसा ।
संकल्पप्रभवान्कामांस्त्यक्त्वा सर्वानशेषतः ।
मनसैवेन्द्रियग्रामं विनियम्य समन्ततः ॥२४॥
अनुवाद।।।।।
मनुष्य को चाहिए कि संकल्प तथा श्रद्धा के साथ योगाभ्यास में लगे और पथ से विचलित न हो | उसे चाहिए कि मनोधर्म से उत्पन्न समस्त इच्छाओं को निरपवाद रूप से त्याग दे और इस प्रकार मन के द्वारा सभी ओर से इन्द्रियों को वश में करे |
विश्वास बहुत बड़ी चीज़ है। विश्वास के साथ, पुरुष - महिला व बच्चे..... सभी भगवान को पुकार सकते हैं। ध्रुव को अगाध विश्वास था कि भगवान अवश्य आएंगे। विश्वास के कारण उन्हें सर्वशक्तिमान भगवान श्रीहरि की कृपा मिली।
ध्रुव जी द्वारा केवल जोर-जोर से भगवान को पुकारने पर ही प्रभु का हृदय पिघल गया।
भगवान के पास वापस जाना - सब कुछ जो आपको जानना आवश्यक है!।
ध्रुव केवल एक बच्चा था। वह संस्कृत की प्रार्थनाओं को नहीं जानता था। उसने केवल जोर जोर से पुकार-पुकार कर भगवान को बुलाया ।
भगवान जब प्रसन्न हो जाते हैं तो प्रतिकूल भी अनुकूल हो जाता है।
भगवत् प्राप्ति से पहिले श्रीनारद मुनि स्वयं ध्रुव से मिलने आए और उन्हें ध्रुव को तपस्या करने की विधि बताई । और केवल छह महीने की कठिन तपस्या के बाद ही, ध्रुव ने शंख, चक्र , गदा, और कमल के फूल के साथ सर्वशक्तिमान भगवान विष्णु के दिव्य स्वरूप का दर्शन किया।
अनर्थ निवृत्ति के ऊपर मेरी अनुभूति।
भगवान श्रीकृष्ण ही आपके सबसे खास हैं ।
भगवान श्रीकृष्ण आपके सबसे करीब हैं और आपके सबसे प्रिय हैं। जो भी आप अपने मन में सोच रहे हैं, उसे श्रीकृष्ण ही सबसे पहले देखते हैं और उसके बाद ही आप इसे देख सकते हैं। एक और बात वह ये की उनकी कृपा के बिना आप कुछ देख भी नहीं सकते ।
।।हम तो केवल बच्चे की तरह सरल भाव से रो रो कर हरि कीर्तन करते हुए अपने परमपिता को अपने पास बुला सकते हैं।
सदैव जपिये।।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।