रजिस्टर वेदासहिंदी
वेदासहिंदी
लॉगिन
होम क्वोट्स बुक्स टॉप ब्लोग्स ब्लोग्स अबाउट कांटेक्ट ब्लॉग लिखे
  • होम≻
  • बुक्स≻
  • श्रीमद्भगवद्गीता≻
  • अध्याय एक≻
  • श्लोक 31
अध्याय एक
श्लोक

न च श्रेयोऽनुपश्यामि हत्वा स्वजनमाहवे ।
न काङ्क्षे विजयं कृष्ण न च राज्यं सुखानि च ॥३१॥

शब्दार्थ :

न - न तो; च - भी; श्रेयः - कल्याण; अनुपश्यामि - पहले से देख रहा हूँ; हत्वा - मार कर; स्वजनम् - अपने सम्बन्धियों को; आहवे - युद्ध में; न - न तो; काङ्क्षे - आकांक्षा करता हूँ; विजयम् - विजय; कृष्ण - हे कृष्ण; न - न तो; च - भी; राज्यम् - राज्य; सुखानि - उसका सुख ;च - भी।

भावार्थ :

हे कृष्ण ! इस युद्ध में अपने ही स्वजनों का वध करने से न तो मुझे कोई अच्छाई दिखती है और न, मैं उससे किसी प्रकार की विजय, राज्य या सुख की इच्छा रखता हूँ।

होम क्वोट्स बुक्स टॉप ब्लोग्स ब्लोग्स
अबाउट । कांटेक्ट । ब्लॉग लिखे । साइटमैप



नियम एवं शर्तें । प्राइवेसी एंड पालिसी