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अध्याय एक
श्लोक

दोषैरेतैः कुलघ्नानां वर्णसङ्करकारकैः | 
उत्साद्यन्ते जातिधर्माः कुलधर्माश्च शाश्वताः | | ४२ | |

शब्दार्थ :

दोषैः - ऐसे दोषों से ; एतैः - इन सब ; कुलघ्नानाम् - परिवार नष्ट करने वालों का ; वर्ण-सङ्कर - अवांछित संतानों के ; कारकैः – कारणों से ; उत्साद्यन्ते - नष्ट हो जाते हैं ; जाति-धर्मा : - सामुदायिक योजनाएँ ; कुल-धर्माः - पारिवारिक परम्पराएँ ; च - भी ; शाश्वताः - सनातन |

भावार्थ :

जो लोग कुल - परम्परा को विनष्ट करते हैं और इस तरह अवांछित सन्तानों को जन्म देते हैं उनके दुष्कर्मों से समस्त प्रकार की सामुदायिक योजनाएँ तथा पारिवारिक कल्याण - कार्य विनष्ट हो जाते हैं ।

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