अध्याय एक
श्लोक
श्लोक
उत्सन्नकुलधर्माणां मनुष्याणां जनार्दन ।
नरके नियतं वासो भवतीत्यनुश्रुश्रुम | | ४३ | |
उत्सन्न - विनष्ट ; कुल-धर्माणाम् - पारिवारिक परम्परा वाले ; मनुष्याणाम् - मनुष्यों का ; जनार्दन - हे कृष्ण ; । नरके - नरक में ; नियतम् - सदैव ; वासः - निवास ; भवति – होता है ; इति - इस प्रकार ; अनुशुश्रुम - गुरु परम्परा से मैने सुना है ।
भावार्थ :हे प्रजापालक कृष्ण ! मैनें गुरु - परम्परा से सुना है कि जो लोग कुल - धर्म का विनाश करते हैं , वे सदैव नरक में वास करते हैं ।