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अध्याय एक
श्लोक

अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम |
नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते | | ७ | | 

शब्दार्थ :

अस्माकम् - हमारे; तु - लेकिन; विशिष्टाः - विशेष शक्तिशाली ; ये - जो; तान् – उनको; निबोध - जरा जान लीजिये , जानकारी प्राप्त कर लें , द्विज - उत्तम - हे ब्राह्मणश्रेष्ठ; नायकाः - सेनापति, कप्तान; मम - मेरी; सैन्यस्य - सेना के; संज्ञा-अर्थम् - सूचना के लिए; तान् - उन्हें; ब्रवीमि - बता रहा हूँ; ते - आपको । 

भावार्थ :

किन्तु हे ब्राह्मणश्रेष्ठ ! आपकी सूचना के लिए मैं अपनी सेना के उन नायकों के विषय में बताना चाहँगा जो मेरी सेना को संचालित करने में विशेष रूप से निपुण हैं ।

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