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अध्याय दो
श्लोक

नत्ववाहं जात नासे न त्वं नेमे जनाधिपाः ।
न चैव नभविष्याम : सर्वे वयमतः परम् ॥१२॥

शब्दार्थ :

न - नहीं; तु - लेकिन; एव - निश्र्चय ही; अहम् - मैं; जातु - किसी काल में; न - नहीं; आसम् - था; न - नहीं; त्वम् - तुम; न - नहीं; इमे - ये सब; जन-अधिपाः - राजागण; न - कभी नहीं; च - भी; एव - निश्चय ही; न - नहीं; भविष्यामः - रहेंगे; सर्वे वयम् - हम सब; अतः परम् - इससे आगे ।

भावार्थ :

ऐसा कभी नहीं हुआ कि मैं न रहा होऊँ या तुम न रहे हो अथवा ये समस्त राजा न रहे हो; और न ऐसा हैं। कि भविष्य में हम लोग नहीं रहेंगे ।

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