अध्याय दो
श्लोक
श्लोक
भयाद्रणापरतं मंस्यन्ते त्वां महारथाः ।
येषां च त्वं बहुमतो भूत्वा यास्यसि लाघवम् ॥३५॥
भयात् - भय से; रणात् - युद्धभूमि से; उपरतम् - विमुख; मंस्यन्ते - मानेंगे; त्वाम् - तुमको; महारथाः - बड़े बड़े योद्धा; येषाम् - जिनके लिए; च - भी; त्वम् - तुम; बहु-मतः - अत्यन्त सम्मानित; भूत्वा - हो कर; यास्यसि - जाओगे; लाघवान् - तुच्छता को।
भावार्थ :जिन - जिन महाँ योद्धाओं ने तुम्हारे नाम तथा यश को सम्मान दिया है वे सोचेंगे कि तुमने डर के मारे युद्धभूमि छोड़ दी है और इस तरह वे तुम्हें तुच्छ मानेंगे।